Friday, January 2, 2009

प्रवाह

एय मेरे भावों की सरिता, तू है मेरे जीवन की कविता!
तुझमे पुष्पित पल्लवित हो, मेरी जीवन की लता !!

बाँध तोड़ता उमड़ता तेरा, प्रवाह है चंचल !
तेरे प्रवाह में हो प्रवाहित वियोगी राजीव विकल !!

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