रुलाने चले आपको जो ख़ुद रो बैठे,
बहकाने चले आपको जो ख़ुद बहके !
छोड़ ये बातें सोचे कैसे गुलशन में गुल महके ,
बुझे कैसे आग जो सीने में बरसों से दहेके !!
बहक गए हम क्योंकि भावुक हैं हम,
झुक गए हम क्योंकि नाजुक हैं हम !
आए थे जो तूफ़ान वो गए थम,
उतर गया अब तो सैलाबे गम !!
नयी शुरुवात करें जागे नयी आस,
आया है बसंत का महेकता हुआ मास !
कोयल की कूक और भीनी सुगंध आए रास,
चल के उपवन में हम करते हैं वास !!
नयी हो उमंग और नयी है तरंग,
जीवन में बहरें हम प्यार के रंग !
आओ झूमो नाचो गाओ मेरे संग,
जहाँ रेत हो ठंडी, ठंडी बहेती हो गंग !!
आओ झूमो नाचो गाओ मेरे संग !!
Saturday, January 3, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment